av Vinod Kumar Mishra
409,-
लियोनार्डो दा विंची कोई व्यक्]ति एक अच्छा चित्रकार हो सकता है, वैज्ञानिक हो सकता है, इंजीनियर और गणितज्ञ हो सकता है; पर एक ही व्यक्]ति उत्कृष्]ट चित्रकार, अच्छा वैज्ञानिक, श्रेष्]ठ इंजीनियर, कुशल गणितज्ञ, अद]्भुत चिंतक, गजब का वास्तुविद्, योजनाकार, संगीतज्ञ, वाद्ययंत्र डिजाइनर आदि सबकुछ हो- विश्]वास करना कठिन है, लेकिन ऐसा ही एक अद]्भुत व्यक्]ति था-लियोनार्डो दा विंची। लियोनार्डो युद्ध के घोर विरोधी थे, पर विडंबना यह कि उन्हें हिंसक अस्]]त्र-शस्]]त्र, युक्]तियाँ, उपकरण आदि तैयार करने पड़े। परिस्थितियाँ इतनी प्रतिकूल थीं कि उनके तमाम चित्र, मूर्तियाँ, मॉडल आदि अधूरे ही रह गए। उनके डिजाइन किए हुए शहर, नहरें, बाँध आदि कागजों पर ही चिपके रह गए। बाद के वैज्ञानिकों, कलाकारों, दार्शनिकों ने उन्हें अपना आदर्श माना और उनके बनाए स्कैचों, डिजाइनों, मॉडलों आदि को मूर्त रूप दिया। उस काल में की गई उनकी कल्पनाएँ-जैसे पनडुब्बी, हेलीकॉप्टर, टैंक, सर्पिल सीड़ियाँ, साफ-सुथरे शहर, अद]्भुत खिलौने-आज साकार हो चुकी हैं। आजीवन गरीबी और बदहाली झेलनेवाले लियोनार्डो की एक कूटबद्ध नोटबुक 'कोडेक्स लिसेक्टर' हाल ही में तीन करोड़ में बिकी। खरीदनेवाले हैं-विश्]व के सबसे धनी व्यक्]ति एवं माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स। ऐसा करके बिल गेट्स ने अपने बचपन के आदर्श के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की। प्रस्तुत पुस्तक 'लियोनार्डो दा विंची' में सुधी पाठक इस अद]्भुत चरित्र के बारे में पढ़कर जहाँ आश्]चर्यचकित होंगे, वहीं ज्ञान के अथाह सागर में जी भरकर ज्ञान का आचमन करेंगे।