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  • av Shashikant 'Sadaiv'
    385,-

    मोटापा न केवल एक रोग है बल्कि अनेक रोगों के जन्म का कारण भी है, इसलिए यह बहुत ही आवश्यक है कि मोटापे को जल्द से जल्द दूर कर लिया जाए अन्यथा मोटापा व्यक्ति के बाहरी व्यक्तित्व को न केवल बेडौल बनाकर उसके आत्मविश्वास को कम करता है बल्कि उसे को रोगी भी बना देता है। इस कारण आज लोग अपने वजन को लेकर कुछ ज्यादा ही चिंतित रहने लगे हैं जिसकी वजह से वे कई गलतफहमियों का शिकार हो जाते हैं और उनका वजन घटने के बजाय बढ़ने लगता है। मोटापा क्या है? क्यों होता है? क्या हैं इससे मुक्ति के उपाय? संबंधित विषयों को, निवारण सहित जानिए, इस पुस्तक से।

  • av Maurice Leblanc
    259,-

  • av Edna Ferber
    305,-

  • av Lloyd C. Douglas
    585,-

    With more than six million copies sold, the New York Times Bestseller, Lloyd C. Douglas's The Robe is the classic novel about the Roman soldier Marcellus, who wins Jesus Christ's robe as a gambling prize after the crucifixion. The book explores the aftermath of the crucifixion of Jesus through the experiences of the Roman tribune Marcellus Gallio and his Greek slave Demetrius. Here is a timeless story of adventure, faith, and romance, a tale of spiritual longing and ultimate redemption. The book explores the aftermath of the crucifixion of Jesus through the experiences of the Roman tribune, Marcellus Gallio and his Greek slave Demetrius. Prince Gaius, in an effort to rid Rome of Marcellus, banishes Marcellus to the command of the Roman garrison at Minoa, a port city in southern Palestine. In Jerusalem during Passover, Marcellus ends up carrying out the crucifixion of Jesus but is troubled since he believes Jesus is innocent of any crime. Marcellus and some other soldiers throw dice to see who will take Jesus' seamless robe. Marcellus wins and asks Demetrius to take care of the robe. Following the crucifixion, Marcellus takes part in a banquet attended by Pontius Pilate. During the banquet, a drunken centurion insists that Marcellus wear Jesus' robe. Reluctantly wearing the garment, Marcellus apparently suffers a nervous breakdown and returns to Rome. Sent to Athens to recuperate, Marcellus finally gives in to Demetrius' urging and touches the robe, and his mind is subsequently restored. Marcellus, now believing the robe has some sort of innate power, returns to Judea, follows the path Jesus took, and meets many people whose lives Jesus had affected. Based upon their experiences first Demetrius and then Marcellus becomes a follower of Jesus. Marcellus then returns to Rome, where he must report his experiences to the emperor, Tiberius at Villa Jovis on Capri. Marcellus frees Demetrius, who escapes. However, later on, because of his uncompromising stance regarding

  • av A. Iravi
    275,-

    Novel that picturises the 1958 ethnic violence against Tamils in Sri Lanka and the status of Tamils in the immediate post 1958 scenario.

  • av Sharat Chandra Chattopadhyay
    259,-

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  • av Peter Kropotkin
    259,-

    The Conquest of Bread is Peter Kropotkin's most extensive study of human needs and his outline of the most rational and equitable means of satisfying them. A combination of detailed historical analysis and far-reaching Utopian vision, this is a step-by-step guide to social revolution: the concrete means of achieving it, and the world that humanity's 'constructive genius' is capable of creating. Includes a new introduction that historically situates and discusses the contemporary relevance of Kropotkin's ideas. Written in the late 1800s, this prophetic book reveals the truths of the many abuses against human rights caused by the centralization of industry. The Conquest of Bread has become a classic of political anarchist literature. It was heavily influential on both the Spanish Civil War and the Occupy movement.

  • av Thomas A. Kempis
    259,-

    The more humble and obedient to God a man is, the more wise and at peace he will be in all that he does.- Thomas à KempisThe Imitation of Christ is one of the best known Christian books on devotion. Through its realistic delineation of the complexities of human existence, and in its soul-building optimism about the benefits of aspiring to a Christ-shaped life.Although written early in the fifteenth century, the many short meditations that comprise this work remain strikingly fresh and relevant for modern readers.The Imitation of Christ is perhaps the most widely read Christian devotional work after the Bible, and is regarded as a devotional and religious classic.

  • av Shivangi Dwivedi
    269,-

  • av Devaki Nandan Khatri
    409,-

    पठनीयता किसी भी उपन्यास की सबसे बड़ी ताकत होती है। यहाँ पठनीयता से तात्पर्य पाठक का किसी रचना के साथ आरम्भ से लेकर अंत तक गहरा सम्बन्ध स्थापित हो जाने से है। चन्द्रकान्ता संतति एक ऐसा ही उपन्यास है। हिंदी साहित्य के इतिहास में देवकीनंदन खत्री कृत 'चंद्रकांता संतति' एक ऐसा उपन्यास रहा है जिसने साहित्य के पाठकों के बीच में तहलका मचा दिया था। एक ऐय्यारी उपन्यास के रूप में प्रसिद्ध यह उपन्यास घटना प्रधान, तिलिस्म, जादूगरी, रहस्यलोक तथा ऐय्यारी की पृष्ठभूमि पर संजोया गया है। इस उपन्यास की खास बात यह भी है कि जब यह उपन्यास प्रकाशित होकर पाठकों के हाथों में आया तब लोगों के बीच इसे पढ़ने की इच्छा बहुत बढ़ गयी। इसकी प्रसिद्धि का स्तर कुछ यूं रहा कि गैर हिंदी भाषी लोग भी इसे पढ़ने के लिए हिंदी सीखने लगे।

  • av Devaki Nandan Khatri
    399,-

    पठनीयता किसी भी उपन्यास की सबसे बड़ी ताकत होती है। यहाँ पठनीयता से तात्पर्य पाठक का किसी रचना के साथ आरम्भ से लेकर अंत तक गहरा सम्बन्ध स्थापित हो जाने से है। चन्द्रकान्ता संतति एक ऐसा ही उपन्यास है। हिंदी साहित्य के इतिहास में देवकीनंदन खत्री कृत 'चंद्रकांता संतति' एक ऐसा उपन्यास रहा है जिसने साहित्य के पाठकों के बीच में तहलका मचा दिया था। एक ऐय्यारी उपन्यास के रूप में प्रसिद्ध यह उपन्यास घटना प्रधान, तिलिस्म, जादूगरी, रहस्यलोक तथा ऐय्यारी की पृष्ठभूमि पर संजोया गया है। इस उपन्यास की खास बात यह भी है कि जब यह उपन्यास प्रकाशित होकर पाठकों के हाथों में आया तब लोगों के बीच इसे पढ़ने की इच्छा बहुत बढ़ गयी। इसकी प्रसिद्धि का स्तर कुछ यूं रहा कि गैर हिंदी भाषी लोग भी इसे पढ़ने के लिए हिंदी सीखने लगे।

  • av Devaki Nandan Khatri
    415,-

    पठनीयता किसी भी उपन्यास की सबसे बड़ी ताकत होती है। यहाँ पठनीयता से तात्पर्य पाठक का किसी रचना के साथ आरम्भ से लेकर अंत तक गहरा सम्बन्ध स्थापित हो जाने से है। चन्द्रकान्ता संतति एक ऐसा ही उपन्यास है। हिंदी साहित्य के इतिहास में देवकीनंदन खत्री कृत 'चंद्रकांता संतति' एक ऐसा उपन्यास रहा है जिसने साहित्य के पाठकों के बीच में तहलका मचा दिया था। एक ऐय्यारी उपन्यास के रूप में प्रसिद्ध यह उपन्यास घटना प्रधान, तिलिस्म, जादूगरी, रहस्यलोक तथा ऐय्यारी की पृष्ठभूमि पर संजोया गया है। इस उपन्यास की खास बात यह भी है कि जब यह उपन्यास प्रकाशित होकर पाठकों के हाथों में आया तब लोगों के बीच इसे पढ़ने की इच्छा बहुत बढ़ गयी। इसकी प्रसिद्धि का स्तर कुछ यूं रहा कि गैर हिंदी भाषी लोग भी इसे पढ़ने के लिए हिंदी सीखने लगे।

  • av Premchand
    475,-

    "लेकिन घर आकर उसने ज्योंही वह प्रस्ताव किया कि कुहराम मच गया । धनिया तो कम चिल्लाई, दोनों लड़कियों ने तो दुनिया सिर पर उठा ली । नहीं देते अपनी गाय, रुपये जहाँ से चाहो लाओ । सोना ने तो यहाँ तक कह डाला, इससे तो कहीं अच्छा है, मुझे बेच डालो । गाय से कुछ बेसी ही मिल जायेगा । होरी असमंजस में पड़ गया । दोनों लड़कियां सचमुच गाय पर जान देती थी । रूपा तो उसके गले से लिपट जाती थी और बिना उसे खिलाये कौर मुँह में न डालती थी । गाय कितने प्यार से उसका हाथ चाटती थी, कितनी स्नेहभरी आँखों से उसे देखती थी । उसका बछड़ा कितना सुन्दर होगा । अभी से उसका नामकरण हो गया था-मटरू । वह उसे अपने साथ लेकर सोयेगी । इस गाय के पीछे दोनों बहनों में कई बार लड़ाइयों हो चुकी थीं । सोना कहती, मुझे ज्यादा चाहती है, रूपा कहती, मुझे । इसका निर्णय अभी तक न हो सका था । और दोनों दावे कायम थे ।" - उपन्यास से।

  • av Paramhans Yoganand
    505,-

    "ऋषियों ने आध्यात्मिक जीवन शैली के आदर्श स्थापित किया था उनके महान उपदेश आज के समय के लिए पर्याप्त हैं । उनके नियम न तो आज के लोकाचार के विरुद्ध हैं, न ही ऐसे हैं कि भौतिकवाद को भी कृत्रिम लगें । आज भी भारत पर उनकी पकड़ मजबूत है । सहस्राब्दियों से संशयशील समय ने वेदों कि योग्यता की पुष्टि की है. इन्हें अपनी विरासत के रूप में ग्रहण करो ।" - इसी पुस्तक से ।

  • av Devaki Nandan Khatri
    409,-

    किसी तरह किसी की लौ तभी तक लगी रहती है जब तक कोई दूसरा आदमी किसी तरह की चोट उसके दिमाग पर न दे और उसके ध्यान को छेड़ कर न बिगाड़े, इसीलिए योगियों को एकांत में बैठना कहा है। कुँवर वीरेंद्र सिंह और कुमारी चन्द्रकांता की मुहब्बत बाज़ारू न थी, वे दोनों एक रूप हो रहे थे, दिल ही दिल में अपनी जुदाई का सदमा एक ने दूसरे से कहा और दोनों समझ गए मगर किसी पास वाले को मालूम न हुआ, क्यूंकि ज़ुबान दोनों की बंद थी। -देवकीनन्दन खत्री

  • av Devaki Nandan Khatri
    409,-

    पठनीयता किसी भी उपन्यास की सबसे बड़ी ताकत होती है। यहाँ पठनीयता से तात्पर्य पाठक का किसी रचना के साथ आरम्भ से लेकर अंत तक गहरा सम्बन्ध स्थापित हो जाने से है। चन्द्रकान्ता संतति एक ऐसा ही उपन्यास है। हिंदी साहित्य के इतिहास में देवकीनंदन खत्री कृत 'चंद्रकांता संतति' एक ऐसा उपन्यास रहा है जिसने साहित्य के पाठकों के बीच में तहलका मचा दिया था। एक ऐय्यारी उपन्यास के रूप में प्रसिद्ध यह उपन्यास घटना प्रधान, तिलिस्म, जादूगरी, रहस्यलोक तथा ऐय्यारी की पृष्ठभूमि पर संजोया गया है। इस उपन्यास की खास बात यह भी है कि जब यह उपन्यास प्रकाशित होकर पाठकों के हाथों में आया तब लोगों के बीच इसे पढ़ने की इच्छा बहुत बढ़ गयी। इसकी प्रसिद्धि का स्तर कुछ यूं रहा कि गैर हिंदी भाषी लोग भी इसे पढ़ने के लिए हिंदी सीखने लगे।

  • av Devaki Nandan Khatri
    415,-

    पठनीयता किसी भी उपन्यास की सबसे बड़ी ताकत होती है। यहाँ पठनीयता से तात्पर्य पाठक का किसी रचना के साथ आरम्भ से लेकर अंत तक गहरा सम्बन्ध स्थापित हो जाने से है। चन्द्रकान्ता संतति एक ऐसा ही उपन्यास है। हिंदी साहित्य के इतिहास में देवकीनंदन खत्री कृत 'चंद्रकांता संतति' एक ऐसा उपन्यास रहा है जिसने साहित्य के पाठकों के बीच में तहलका मचा दिया था। एक ऐय्यारी उपन्यास के रूप में प्रसिद्ध यह उपन्यास घटना प्रधान, तिलिस्म, जादूगरी, रहस्यलोक तथा ऐय्यारी की पृष्ठभूमि पर संजोया गया है। इस उपन्यास की खास बात यह भी है कि जब यह उपन्यास प्रकाशित होकर पाठकों के हाथों में आया तब लोगों के बीच इसे पढ़ने की इच्छा बहुत बढ़ गयी। इसकी प्रसिद्धि का स्तर कुछ यूं रहा कि गैर हिंदी भाषी लोग भी इसे पढ़ने के लिए हिंदी सीखने लगे।

  • av Devaki Nandan Khatri
    415,-

    पठनीयता किसी भी उपन्यास की सबसे बड़ी ताकत होती है। यहाँ पठनीयता से तात्पर्य पाठक का किसी रचना के साथ आरम्भ से लेकर अंत तक गहरा सम्बन्ध स्थापित हो जाने से है। चन्द्रकान्ता संतति एक ऐसा ही उपन्यास है। हिंदी साहित्य के इतिहास में देवकीनंदन खत्री कृत 'चंद्रकांता संतति' एक ऐसा उपन्यास रहा है जिसने साहित्य के पाठकों के बीच में तहलका मचा दिया था। एक ऐय्यारी उपन्यास के रूप में प्रसिद्ध यह उपन्यास घटना प्रधान, तिलिस्म, जादूगरी, रहस्यलोक तथा ऐय्यारी की पृष्ठभूमि पर संजोया गया है। इस उपन्यास की खास बात यह भी है कि जब यह उपन्यास प्रकाशित होकर पाठकों के हाथों में आया तब लोगों के बीच इसे पढ़ने की इच्छा बहुत बढ़ गयी। इसकी प्रसिद्धि का स्तर कुछ यूं रहा कि गैर हिंदी भाषी लोग भी इसे पढ़ने के लिए हिंदी सीखने लगे।

  • av Premchand
    369,-

    और अब एक बड़ी विचित्र बात हुई। हामिद के इस चिमटे से भी विचित्र। बच्चे हामिद ने बूढ़े हामिद का पार्ट खेला था। बुढ़िया अमीना बालिका अमीना बन गयी। वह रोने लगी। दामन फैलाकर हामिद को दुआएं देती जाती थी और आँसू की बड़ी-बड़ी बूँदें गिराती जाती थी। हामिद इसका रहस्य क्या समझता?' - इसी पुस्तक से।

  • av Dale Carnegie
    369,-

    यदि आप चिंता से दूर रहना चाहते हैं तो वही कीजिये जो सर विलियम ऑसलर ने किया था अर्थात् आज की परिधि में रहिये। भविष्य की चिंता मत कीजिये। रोज नई जिंदगी की शुरुआत करें। यदि चिंता आपको लाचार करे तो विलियम एच कैरियर के सूत्र का प्रयोग कीजिए- (क) मन-ही-मन प्रश्न कीजिये कि समस्या का समाधान न मिलने से क्या अनिष्ट हो सकता है । (ख) यदि आवश्यक हो तो मन में अनिष्ट को स्वीकार कर लीजिये । (ग) शांत चित्त से मन-ही-मन स्वीकृत उस अनिष्ट को सुधारने का प्रयास कीजिये। डेल कारनेगी की यह किताब आधुनिक मनुष्य के जीवन में आने वाली समस्याओं से निपटने के लिये अत्यंत सहायक सिद्ध होगी। इसका कारण यह है कि इस पुस्तक में कारनेगी ने मनुष्य के जीवन में आने वाली तमाम तरह की समस्याओं के केंद्र में चिंता को रखकर उससे निजात दिलाने वाले तरीकों की बड़े ही विस्तृत ढंग से चर्चा की है। - प्रकाशक की ओर से।

  • av Majumdar Akshoy K.
    575,-

    The Hindu History is part of the indispensable canon of works on the chronological growth of Hinduism and the Indian nation. Written in the early twentieth century, it traces the origin and development of the Aryan invasion of India and takes us on an engaging journey through the rise of new dynasties and kingdoms, followed by the advent of foreign rule in India. Religion and philosophy have always been a guiding force in India. They have moulded society and played a crucial role in nation-building. The Hindu History is a well-researched, exhaustive and in-depth analysis of the events that have shaped Hinduism and Hindustan.

  • av Kavita Kane
    255,-

    Matsyagandha, Daseyi, Yojanagandha-the queen of Hastinapur, Satyavati. Abandoned as a baby, preyed on by a rishi, she hardens herself, determined that the next time she is with a man, she will be the one to win.

  • av Sujata Parashar
    195,-

    Aparajita, Deepanita, Aniket and Siddharth have much more in common than being just college mates. All of them either lie or hide things from their parents and want total freedom to follow their dreams.

  • av Kavita Kane
    325,-

    What I searched all these years for myself-and I only found Ahalya, the woman I was supposed to be born as: unblemished, without any faults. I had no hala in me, no sin, no crime, no guilt. What I had done was to respond to the call of life within me...'-Ahalya. Created by Brahma; married to one of the greatest rishis of all time; desired by the king of gods, Indra. A woman maligned and cursed. But who was Ahalya? What did she want? Did she have ambitions and desires? In this sparkling retelling of the well-known legend, bestselling author Kavita Kané draws out the voice of a character that lacked one-even before she was turned to stone.

  • av Ramesh Bijlani
    179,-

    Unfortunately, an idea that has taken root in the Indian psyche over the last 1,000 years is that spiritual life and worldly life are poles apart. In the busy worldly life in which one is simply moving from one concrete task

  • av Rupa Publications
    185,-

    'Hinduism is not an exclusive religion. In it, there is room for worship of all the prophets in the world. It is not a missionary religion in the ordinary sense of the term. It has no doubt absorbed many tribes in its fold,

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