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Böcker av Jaya Row

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  • av Jaya Row
    445,-

    जो लोग स्वयं को अभावग्रस्त पाते हैं, वे अकसर उसका सारा दोष अपने दुर्भाग्य पर मढ़ते हैं; लेकिन धर्मग्रंथ कहते हैं कि आपका भाग्य आपकी अतीत में पाली गई समस्त अभिलाषाओं का पूर्णाक है। यदि आप एक बार कोई कार्य करते हैं तो आपको अनिवार्यतः उसके परिणामों का सामना करने के लिए भी तैयार रहना चाहिए। यही कर्म का विधान है। इसलिए आपको अपने आपसे यह प्रश्न करना चाहिए कि क्]या आप सही अभिलाषाओं का चयन कर रहे हैं ? 'शुद्ध कर्म' नामक इस पुस्तक में विश्वप्रसिद्ध आध्यात्मिक विभूति जया राव इस रहस्य को उद्घाटित करती हैं और समझाती हैं कि यह प्रवृत्ति वर्तमान में हमारे जीवन को किस प्रकार प्रभावित कर रही है। वह आपके साथ अपनी उस अंतर्दृष्टि को साझा कर रही हैं, जिसे आप मूर्त रूप दे सकते हैं, अर्थात्] उसे कार्यान्वित कर सकते हैं। यह पुस्तक आपको वह मार्ग दिखाती है, जिस पर चलकर आप कारात्मक चक्रों को तोड़ सकते हैं और अपने लिए उत्तम भविष्य का निर्माण कर सकते हैं ।

  • - Based on the Bhagavad Gita Chapter 2
    av Jaya Row
    249,-

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